Sexed semen (Hindi)

“सैक्स्ड सीमन : पशु प्रजनन के क्षेत्र मे विज्ञान का चमत्कार

ज़ैसा कि हम जानते है, वीर्य (सीमन) में दो प्रकार के शुक्राणु होते हैं : वाई क्रोमोसोम धारक शुक्राणु और एक्स क्रोमोसोम धारक शुक्राणु। जब नर का वाई क्रोमोसोम धारक शुक्राणु मादा के अण्डे से मिलता है तो नर पशु का जन्म होता है। इसके विपरीत जब नर का एक्स  क्रोमोसोम धारक शुक्राणु मादा के अण्डे से मिलता है तो मादा पशु का जन्म होता है।

एक्स क्रोमोसोम का आकार और इसमे उपस्थित डी. एन. ए. की मात्रा वाई क्रोमोसोम की तुलना मे ज़्यादा होती है इसलिए फ्लोसाईटोमीटरी तकनीक के माध्यम से वीर्य में उपस्थित एक्स और वाई क्रोमोसोम धारक शुक्राणुओं को अलग किया जा सकता है।

                   एक्स और वाई क्रोमोसोमज

एक्स क्रोमोसोम वाले वीर्य के प्रयोग से मादा पशुओं का उत्पादन होता है और वाई क्रोमोसोम वाले वीर्य के प्रयोग से नर पशुओं का उत्पादन होता है। सीमन की सैक्सिंग (सैक्स्ड सीमन ) से मन चाहे लिंग (नर या मादा) के पशुओं का प्रजनन सम्भव हो गया है। इस विधी की सत्यता लगभग 90% है।

सभी पशुपालक दूध उत्पादन के लिये केवल मादा पशुओं के जन्म की कामना करते हैं क्योंकि नर पशु उनके व्यवसाय मे कोई योगदान नही देते। ऐसी स्थिति में सैक्स्ड सीमन  के प्रयोग से किसान मादा पशुओं (गायों) का उत्पादन कर सकते है । सैक्स्ड सीमन अब व्यापक रूप से उपलब्ध है और भारत मे भी आयातित सैक्स्ड सीमन का प्रयोग बेहतर बछिया प्राप्त करने के लिए किया जा रहा हैं। पुल्लिंग वीर्य के रूप में सैक्स्ड सीमन का उपयोग लगभग न के बराबर है।

सैक्स्ड सीमन के लाभ :

  • इसके प्रयोग से केवल बछियों का जन्म होता है अत: दूध के उत्पादन में वृद्धी होती है और किसान को बछ्डों के लालन-पालन पर बेकार का खर्च नही करना पड़ता। ह्मारी परिस्थिति में सैक्स्ड सीमन के प्रयोग से अधिक लाभ होगा।
  • अधिक बछियों के जन्म से किसान के पास अधिक संख्या मे दूध देने वाली गायें उपलब्ध रहेंगी।
  • क़िसान को बाहर से गायें नही खरीदनी पड़ेगीं जिससे बीमारियो की रोकथाम मे मदद मिलेगी।
  • सैक्स्ड सीमन से गाभिन बछियों में प्रसव के दौरान कठिनाई नही होती। अत: इसका प्रयोग बछियों मे अधिक उपयोगी है।  
  • इसके अलावा गायों मे भी कठिन प्रसव से राहत मिलती है।

सावधानियॉ :

  • पाराम्परिक वीर्य की तुलना में सैक्स्ड सीमन में शुक्राणुओं की संख्या (लगभग 2 मिलियन प्रति डोज) बहुत कम होती है अत: इसके प्रयोग से गर्भाधारण की सम्भावना पाराम्परिक वीर्य से लगभग 10 -15% तक कम होती है। इसका प्रयोग उन क्षेत्रो में अधिक लाभकारी है जहॉं कृत्रिम गर्भाधान ( कृ.ग.) का काम अच्छा चल रहा है।
  • स्वस्थ एंव सामान्य रुप से गर्मी मे आने वाली जवान बछियों मे इसके प्रयोग से आपेक्षित नतीजे मिलते हैं।
  • सैक्स्ड सीमन की कीमत पाराम्परिक वीर्य की तुलना में कई गुनी अधिक है अत: कुशल एंव अनुभवी कृ.ग. टैक्नीशियन ही इसका प्रयोग गर्मी के लक्षण देखकर सही समय पर करें तो अच्छा है।

सारांश :

सैक्स्ड सीमन आनुवंशिक रूप से बेहतर और लाभदायक होता है। इसकी कीमत भी पाराम्परिक वीर्य की तुलना मे अधिक है। इसमे शुक्राणुओं की संख्या लगभग 2 मिलियन प्रति डोज है अत: अनुभवी कृ.ग. टैक्नीशियनो को ही इसका प्रयोग करना चाहिए। कुंवारी बछियों में सैक्स्ड सीमन के उपयोग से अधिक लाभ मिलता है। इसके उपयोग से केवल बछियों का जन्म होता है और प्रसव के समय कठिनाई नही होती। हमारे देश के किसानो के लिये सैक्स्ड सीमन का इस्तेमाल बहुत उपयोगी और लाभदायक साबित होगा।